Table of Contents:
1. दीपावली के त्योहार की पौराणिक कथा
2. अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाना क्यों बंद कर दिया था?
3. दीपावली 2024 कब मनाई जाएगी?
4. दीपावली किस तरह मनाई जाती है?
5. दीवाली पर रंगोली क्यों बनाते हैं?
6. भारतीय दिवाली क्यों मनाते हैं?
7. दीपावली पर लाइट और लैंप क्यों जलाए जाते हैं?
8. दीवाली पर तेल से स्नान क्यों किया जाता है?
9. दीवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों होती है?
10. दीपावली मनाने के लाभ
11. क्या श्री राम भगवान हैं?
12. हमें किसकी भक्ति करनी चाहिए?
13. पूर्ण परमात्मा के प्रमाण
14. सतगुरु की खोज कैसे करें?
15. दीपावली 2024 पर पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे करें?
1. दीपावली के त्योहार की पौराणिक कथा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया, तब राम जी ने उसे हराकर सीता जी को वापस लाने के बाद अयोध्या लौटे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर अमावस्या की रात को प्रकाश से भर दिया। हालांकि, यह त्योहार बाद में अयोध्यावासियों द्वारा मनाना बंद कर दिया गया था। कारण यह था कि एक धोबी की टिप्पणी के बाद सीता जी को वनवास भेजा गया, जिससे लोगों का मन टूट गया।
2. अयोध्यावासियों ने दीपावली मनाना क्यों बंद कर दिया था?
जब माता सीता को राम जी ने अयोध्या से वनवास भेज दिया, तब अयोध्यावासी बहुत दुखी हुए। इसके बाद उन्होंने दीपावली का त्योहार मनाना छोड़ दिया। इस घटना के बाद, दीपावली का मूल उद्देश्य खो गया और केवल परंपरा बनकर रह गया। आज के समय में लोग इस त्योहार को पटाखों और ध्वनि प्रदूषण से मनाते हैं, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इसका शास्त्रों में कोई प्रमाण भी नहीं है।
3. दीपावली 2024 कब मनाई जाएगी?
2024 में दीपावली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को आता है और इसे पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
4. दीपावली किस तरह मनाई जाती है?
दीपावली का त्योहार अयोध्यावासियों ने केवल दो बार मनाया था, उसके बाद इसे त्याग दिया गया। वर्तमान समय में लोग पटाखे जलाकर प्रदूषण फैलाते हैं और शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यह साधना कोई लाभ नहीं देती। गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्रविरुद्ध साधना से व्यक्ति को न तो कोई लाभ होता है, न ही कोई गति प्राप्त होती है।
5. दीवाली पर रंगोली क्यों बनाते हैं?
रंगोली बनाना दीपावली की प्रमुख परंपराओं में से एक है। जब भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे, तब नगरवासियों ने स्वागत के लिए रंगोलियां बनाई थीं। यह परंपरा आज भी जारी है। माना जाता है कि रंगोली सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और घर में खुशहाली लाती है।
6. भारतीय दिवाली क्यों मनाते हैं?
दिवाली श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। हालांकि, दो साल बाद, जब सीता जी को अयोध्या से निष्कासित कर दिया गया, तब अयोध्यावासियों ने इसे मनाना बंद कर दिया। वर्तमान में यह त्योहार केवल एक सामाजिक परंपरा बन गया है।
7. दीपावली पर लाइट और लैंप क्यों जलाए जाते हैं?
प्राचीन समय में जब श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी वनवास से लौटे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। लाइट और लैंप जलाने का उद्देश्य अंधकार को दूर करना और सकारात्मक ऊर्जा लाना है। हालांकि, केवल दीप जलाने से स्थायी प्रकाश या खुशी प्राप्त नहीं हो सकती। इसके लिए सतगुरु से सतज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है।
8. दीवाली पर तेल से स्नान क्यों किया जाता है?
दीपावली के दिन सुबह तेल से स्नान करने की परंपरा है। यह माना जाता है कि इससे शरीर की सफाई होती है और सर्दियों के मौसम में गर्मी मिलती है। लेकिन यह आत्मा की शुद्धि नहीं करता। आत्मा की शुद्धि केवल सही सत्संग और शास्त्रविरुद्ध साधनाओं से मुक्त होकर की जा सकती है।
9. दीवाली पर लक्ष्मी पूजा क्यों होती है?
लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है, और दीपावली के दिन उनकी पूजा करके लोग धन-धान्य की कामना करते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, लक्ष्मी जी की पूजा का कोई प्रमाण नहीं है। वास्तविक सुख और समृद्धि केवल पूर्ण परमात्मा की भक्ति से ही मिल सकती है।
10. दीपावली मनाने के लाभ
शास्त्रविरुद्ध साधनाएं किसी भी लाभ की गारंटी नहीं देतीं। भगवद गीता के अनुसार, मनमानी पूजा करने वाले लोगों को न तो कोई सुख मिलता है और न ही उनके कार्य सिद्ध होते हैं। इस प्रकार, दीपावली मनाने से वास्तविक लाभ प्राप्त नहीं होता।
11. क्या श्री राम भगवान हैं?
श्री राम एक महान राजा और आदर्श व्यक्ति थे, लेकिन परमात्मा नहीं थे। जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु भी होती है, जबकि परमात्मा अविनाशी होता है। श्री राम का जन्म माता के गर्भ से हुआ था, इसलिए वे परमात्मा नहीं हो सकते।
12. हमें किसकी भक्ति करनी चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवताओं की भक्ति सीमित फल देती है। देवी भागवत में दुर्गा जी ने भी किसी और उच्चतम परमात्मा की भक्ति करने का निर्देश दिया है। हमें पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए, जो हमें तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
13. पूर्ण परमात्मा के प्रमाण
कई धार्मिक ग्रंथों में कबीर साहेब को पूर्ण परमात्मा माना गया है। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, पवित्र कुरान शरीफ, और पवित्र बाइबल में कबीर परमेश्वर के प्रमाण मिलते हैं। कबीर साहेब ने सृष्टि की रचना की और वे ही समस्त पापों का नाश कर सकते हैं।
कविर देव (भगवान कबीर) के प्रमाण पवित्र धर्म ग्रंथों में
कविर देव (भगवान कबीर) की अवधारणा विभिन्न पवित्र धर्म ग्रंथों में पाई जाती है, जिनमें बाइबल, वेद, गीता और कुरान शामिल हैं। ये ग्रंथ ईश्वर की प्रकृति और आत्मा के सच्चे ज्ञान के लिए आध्यात्मिक मार्ग पर जोर देते हैं। ये बताते हैं कि सच्चे संत (तत्वदर्शी) के मार्गदर्शन से भक्तों को सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है। यहां विभिन्न ग्रंथों से प्रमाणों का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
पवित्र बाइबल में प्रमाण
ऑर्थोडॉक्स ज्यूइश बाइबल के अनुसार, अय्यूब 36:5 में कहा गया है, "देखो, ईश्वर कबीर है, और किसी से घृणा नहीं करता; वह बुद्धि में कबीर है।" इस श्लोक से पता चलता है कि सर्वोच्च भगवान वास्तव में कबीर हैं।
कबीर को पूर्ण ईश्वर के रूप में उल्लेख किया गया है, जो सतलोक में निवास करते हैं। जो लोग भगवान कबीर की पूजा करते हैं और उनके द्वारा भेजे गए सच्चे संत से दीक्षा लेते हैं, वे पूर्ण मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और सदा के लिए सतलोक में विश्राम कर सकते हैं।
पवित्र गीता में प्रमाण
अध्याय 4, श्लोक 34: यह श्लोक आध्यात्मिक कल्याण प्राप्त करने के लिए एक तत्वदर्शी संत की आवश्यकता पर जोर देता है। यह सुझाव देता है कि सच्चा ज्ञान प्राप्त करना तभी संभव है जब ऐसे संत को पहचाना जाए, और संत रामपाल जी को वर्तमान तत्वदर्शी संत के रूप में पहचाना जाता है।
अध्याय 15, श्लोक 1-4: ये श्लोक सर्वोच्च ईश्वर की प्रकृति को समझने के महत्व को दर्शाते हैं, और यह बताते हैं कि गहन आध्यात्मिक सत्य को समझने के लिए दिव्य मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
पवित्र कुरान शरीफ में प्रमाण
सूरत फुरकानी (25:52-59): यहां अल्लाह कबीर को एक दिव्य सत्ता के रूप में संदर्भित करते हैं, जो पूजा के योग्य है। यह सुझाव देता है कि कबीर वह सर्वोच्च ईश्वर हैं जिन्होंने छह दिनों में ब्रह्मांड की रचना की। यह कबीर की सच्ची प्रकृति को समझने के लिए एक जानकार व्यक्ति (बाखबर) से परामर्श करने की बात पर जोर देता है, जो एक उच्च दिव्य सत्य की ओर संकेत करता है।
सच्चिदानंदघन ब्रह्म के वचनों में प्रमाण
कविर देव स्पष्ट रूप से अपनी दिव्य पहचान को प्रकट करते हैं, यह बताते हुए कि वह सर्वोच्च भगवान हैं। यह उनके अनुयायियों के ऐतिहासिक संघर्ष को दर्शाता है, जिन्होंने उनके शिक्षाओं को गलत समझने वाले विद्वानों के खिलाफ संघर्ष किया। कविर देव अपने आत्म-प्रकटीकरण और उनके दिव्य ज्ञान को पहचानने के महत्व पर जोर देते हैं।
सत्यार्थ प्रकाश में प्रमाण
सातवां समुल्लास (पृष्ठ 152-153): स्वामी दयानंद वेदों के प्रमुख श्लोकों का अनुवाद करते हैं, यह बताते हुए कि सृष्टि से पहले जो सृष्टिकर्ता अस्तित्व में था, वही अंतिम देवता है, जो पूजा के योग्य है। यह कविर देव को सर्वोच्च ईश्वर के रूप में देखने के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है, जो भक्ति के योग्य हैं।
पवित्र वेदों में प्रमाण
वेदों में कई श्लोक हैं जो कविर देव को सर्वोच्च भगवान के रूप में मान्यता देते हैं।
1. यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25:
यह श्लोक सुझाव देता है कि वर्तमान समय में, सच्चे ईश्वर की पूजा कविर देव के मार्गदर्शन से की जाती है, जो सच्चा ज्ञान प्रदान करने वाले दूत के रूप में माने जाते हैं।
2. सामवेद संख्या 1400:
यह शास्त्र कविर देव को एक पूर्ण सक्षम सत्ता के रूप में पहचानता है, जो पापों के बंधन को तोड़ने के लिए प्रकट होते हैं, और उन्हें सुख के दाता के रूप में पूजा के योग्य बताया गया है।
3. ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96:
विभिन्न मंत्र (17-20) कविर देव के अवतार और उनके काव्यात्मक ज्ञान पर चर्चा करते हैं, जो दिव्य सत्य को संप्रेषित करने की उनकी अद्वितीय क्षमता को उजागर करते हैं। यह पाठ उन्हें एक अद्भुत बालक के रूप में वर्णित करता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रकट होते हैं।
4. अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7:
यह श्लोक ईश्वर के शाश्वत और निराकार स्वरूप को दर्शाता है, जो कविर देव को अंतिम वास्तविकता के रूप में पहचानने के साथ मेल खाता है, जो भौतिक रूपों से परे हैं।
14. सतगुरु की खोज कैसे करें?
गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34 में तत्वदर्शी संत की खोज करने का निर्देश दिया गया है। तत्वदर्शी संत सभी धर्मग्रंथों के गूढ़ रहस्यों को उजागर करते हैं। वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं, जो सभी धर्मग्रंथों के गूढ़ रहस्यों को प्रमाणित रूप से बताते हैं।
15. दीपावली 2024 पर पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे करें?
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं, और केवल उनकी भक्ति से ही सच्चा सुख प्राप्त किया जा सकता है। इस दीपावली, संत रामपाल जी महाराज से सतज्ञान प्राप्त करके जीवन को प्रकाशमय बनाएं। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग देखें।
FAQ:
Q1. दीपावली 2024 कब मनाई जाएगी?
Ans: दीपावली 2024 में 1 नवंबर को मनाई जाएगी। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को आता है।
Q2. दीपावली किस उपलक्ष्य में मनाई जाती है?
Ans: दीपावली का त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
Q3. दीपावली पर लक्ष्मी पूजा क्यों की जाती है?
Ans: लोक परंपरा के अनुसार, लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है और दीपावली पर उनकी पूजा की जाती है ताकि धन-समृद्धि प्राप्त हो। हालांकि, शास्त्रों में इस पूजा का कोई प्रमाण नहीं है।
Q4. दीवाली पर पटाखे जलाना शास्त्रों के अनुसार सही है?
Ans: शास्त्रों के अनुसार, पटाखे जलाना शास्त्रविरुद्ध साधना है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं है। इसलिए इसे छोड़ना ही उचित है।
Q5. दिवाली पर रंगोली क्यों बनाई जाती है?
Ans: रंगोली बनाने की परंपरा भगवान राम के अयोध्या आगमन के समय से चली आ रही है, जब नगरवासियों ने उनके स्वागत में रंगोलियां बनाई थीं। इसे आज भी शुभता और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक के रूप में माना जाता है।
Q6. दीवाली पर तेल से स्नान क्यों किया जाता है?
Ans: तेल से स्नान करने का उद्देश्य शरीर की सफाई और सर्दियों के मौसम में गर्मी महसूस करना है। हालांकि, आत्मा की शुद्धि तेल स्नान से नहीं होती, उसके लिए सत्संग और सही भक्ति की आवश्यकता है।