करवा चौथ की पौराणिक मान्यता
करवा चौथ की परंपरा के अनुसार, विवाहित महिलाएँ दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति की आयु में वृद्धि होती है और उसकी लंबी उम्र की कामना पूरी होती है। परंतु क्या यह मान्यता शास्त्र-सम्मत है?
मान्यता: करवा चौथ व्रत की लोकधारणा यह है कि इस दिन स्त्रियों द्वारा किए गए उपवास से उनके पति की दीर्घायु होती है और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
सच्चाई: शास्त्रों के आधार पर देखा जाए तो इस धारणा का कोई ठोस धार्मिक आधार नहीं है। यदि इस मान्यता में सच्चाई होती, तो करवा चौथ के दिन किसी भी स्त्री का विधवा होना असंभव हो जाता, परंतु हज़ारों स्त्रियां इस दिन भी अपने पति को खो देती हैं। इसका सीधा निष्कर्ष यह है कि यह मान्यता शास्त्र विरुद्ध और केवल लोकधारणा पर आधारित है।
गीता और वेदों के अनुसार व्रतों का महत्व
श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार, किसी भी प्रकार का कठोर व्रत करना वर्जित है। गीता स्पष्ट रूप से बताती है कि मनुष्य को अत्यधिक तप, उपवास या अति साधना से बचना चाहिए। गीता में इस बात का भी उल्लेख है कि केवल उचित भक्ति और शास्त्रानुकूल साधना ही मनुष्य के जीवन को सच्चे अर्थों में सफल बना सकती है।
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार, "जो व्यक्ति अत्यधिक खाता है, या बिल्कुल नहीं खाता है, जो अत्यधिक सोता है या जागता है, वह योग में सिद्ध नहीं हो सकता।" इस श्लोक के अनुसार, करवा चौथ जैसे उपवास शास्त्रों में उचित नहीं माने गए हैं।
पूर्ण परमात्मा और शास्त्रानुकूल भक्ति
वेदों में करवा चौथ या किसी अन्य प्रकार के व्रत का कोई प्रमाण नहीं है, परंतु वेदों और गीता में पूर्ण परमात्मा की भक्ति का महत्व बार-बार वर्णित है। सामवेद संख्या न. 822 अध्याय 3 खंड न. 5 श्लोक 8 के अनुसार, "पूर्ण परमात्मा सच्चे साधक की मृत्यु निकट होने पर भी उसकी आयु बढ़ा देता है।" अर्थात् यदि कोई सच्चे संत के मार्गदर्शन में शास्त्रानुकूल साधना करता है, तो उसकी आयु में वृद्धि होती है।
समर्थ पूर्ण परमात्मा: सामवेद और ऋग्वेद जैसे प्राचीन धर्मग्रंथों में प्रमाणित है कि केवल पूर्ण परमात्मा की शरण में जाकर ही मनुष्य की आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि में वास्तविक रूप से वृद्धि हो सकती है।
कबीर साहेब और तत्वदर्शी संतों का मार्गदर्शन
संत कबीर साहेब और अन्य तत्वदर्शी संतों ने भी शास्त्रानुकूल साधना पर जोर दिया है। संत गरीबदास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा है, "कहे जो करवा चौथ कहानी, तास गधेहरी निश्चय जानी।" इसका तात्पर्य यह है कि जो स्त्रियां करवा चौथ की कथा करती हैं, उन्हें अगले जन्म में गधे की योनि प्राप्त होती है। संतों के अनुसार, शास्त्रों में वर्णित साधना के विपरीत कार्य करने से व्यक्ति को लाभ की जगह हानि हो सकती है।
सतभक्ति का महत्व: कबीर साहेब के अनुसार, केवल सतभक्ति करने से ही जीवन की समस्त बाधाओं का नाश संभव है और सच्चे भक्त को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सच्ची भक्ति के द्वारा मनुष्य अपनी आयु और स्वास्थ्य दोनों में सुधार कर सकता है।
शास्त्रविरुद्ध साधना का परिणाम
करवा चौथ जैसे व्रत, जो लोकधारणाओं पर आधारित हैं, शास्त्रविरुद्ध साधनाओं की श्रेणी में आते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऐसी साधनाएं व्यर्थ हैं और इनसे किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता। इसके विपरीत, शास्त्रानुकूल साधना करने से साधक को 100 वर्ष तक की आयु प्राप्त हो सकती है।
व्रतों का महत्व: ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 एवं यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, पूर्ण परमात्मा के अलावा कोई भी अन्य देवता या साधना व्यक्ति की आयु या जीवन को प्रभावित नहीं कर सकती। केवल सतभक्ति से ही व्यक्ति की आयु बढ़ाई जा सकती है।
इस लेख से स्पष्ट होता है कि करवा चौथ की परंपरा लोकवेद पर आधारित है और इसका शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं मिलता। गीता, वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथों के आधार पर, केवल सतभक्ति ही वह साधना है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन और आयु को सुधार सकती है। करवा चौथ जैसे व्रत रखने से न केवल कोई लाभ नहीं होता, बल्कि यह शास्त्रविरुद्ध साधना होने के कारण व्यर्थ है। इसलिए, सभी स्त्रियों को चाहिए कि वे शास्त्रों के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करें और पूर्ण परमात्मा की भक्ति में विश्वास रखें।
FAQs
1. क्या करवा चौथ का व्रत शास्त्रों में प्रमाणित है?
नहीं, करवा चौथ का व्रत शास्त्रों में प्रमाणित नहीं है। यह लोकधारणाओं पर आधारित है, और शास्त्रों में इसकी कोई पुष्टि नहीं है।
2. क्या करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु बढ़ती है?
नहीं, शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु में वृद्धि नहीं होती। आयु वृद्धि केवल सतभक्ति से संभव है।
3. श्रीमद्भागवत गीता में व्रत रखने के बारे में क्या कहा गया है?
श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 6 श्लोक 16 में स्पष्ट कहा गया है कि व्रत रखना व्यर्थ है और इस प्रकार की साधना से योग सिद्धि प्राप्त नहीं होती।
4. क्या सामवेद में आयु वृद्धि का कोई प्रमाण है?
हाँ, सामवेद संख्या न. 822 अध्याय 3 खंड न. 5 श्लोक 8 में कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले साधक की आयु बढ़ा देता है।
5. संत गरीबदास जी ने करवा चौथ के बारे में क्या कहा है?
संत गरीबदास जी ने कहा है कि करवा चौथ की कथा सुनने और व्रत करने से व्यक्ति को गधे की योनि प्राप्त होती है।
6. शास्त्रों के अनुसार दीर्घायु पाने का क्या उपाय है?
शास्त्रों के अनुसार, दीर्घायु पाने का एकमात्र उपाय शास्त्रानुकूल सतभक्ति है, जिसे तत्वदर्शी संतों के मार्गदर्शन में करना चाहिए।