नवरात्रि हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे देवी दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि का मतलब 'नौ रातें' होता है, और यह नौ दिनों तक देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा और उपासना का समय होता है। नवरात्रि 2024 का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है, और 12 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के साथ इसका समापन होगा।
नवरात्रि 2024 की प्रमुख तिथियाँ और घटस्थापना मुहूर्त
नवरात्रि प्रारंभ: 3 अक्टूबर 2024
घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 6:23 बजे से 10:18 बजे तक
विजयादशमी: 12 अक्टूबर 2024
दुर्गाष्टमी और महानवमी: 11 अक्टूबर 2024
आइए नवरात्रि 2024 के दौरान हर दिन के विशेष रंग, उनके महत्व और देवी दुर्गा के नौ रूपों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नवरात्रि 2024: नौ दिन के रंग और उनका महत्व
नवरात्रि के दौरान हर दिन विशेष रंग पहनने की परंपरा है, जो देवी के अलग-अलग रूपों से संबंधित है। इन रंगों का प्रतीकात्मक महत्व है और यह हमें सकारात्मकता, शक्ति, और शांति प्रदान करते हैं।
1. 3 अक्टूबर 2024 (पहला दिन) - पीला रंग
महत्व: पीला रंग खुशी, सकारात्मकता और गर्मजोशी का प्रतीक है। इसे पहनने से जीवन में प्रसन्नता आती है और मन को शांति मिलती है।
2. 4 अक्टूबर 2024 (दूसरा दिन) - हरा रंग
महत्व: हरा रंग उर्वरता, विकास और नई शुरुआत का प्रतीक है। इसे धारण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है।
3. 5 अक्टूबर 2024 (तीसरा दिन) - ग्रे रंग
महत्व: ग्रे रंग संतुलन और स्थिरता का प्रतीक है। इसे पहनने से हमें मानसिक शांति और विनम्रता मिलती है।
4. 6 अक्टूबर 2024 (चौथा दिन) - नारंगी रंग
महत्व: नारंगी रंग रचनात्मकता और उत्साह का प्रतीक है। इसे पहनकर हम जीवन की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।
5. 7 अक्टूबर 2024 (पांचवां दिन) - सफ़ेद रंग
महत्व: सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है। यह सुरक्षा और आंतरिक शांति का अनुभव कराता है।
6. 8 अक्टूबर 2024 (छठा दिन) - लाल रंग
महत्व: लाल रंग प्रेम, शक्ति और साहस का प्रतीक है। इसे पहनने से जीवन में ऊर्जा और समर्पण का संचार होता है।
7. 9 अक्टूबर 2024 (सातवां दिन) - रॉयल ब्लू रंग
महत्व: यह रंग शान और राजसी गुणों का प्रतीक है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और सफलता की प्राप्ति होती है।
8. 10 अक्टूबर 2024 (आठवां दिन) - गुलाबी रंग
महत्व: गुलाबी रंग प्रेम, स्नेह और सद्भाव का प्रतीक है। इसे पहनने से रिश्तों में मिठास और सकारात्मकता आती है।
9. 11 अक्टूबर 2024 (नौवां दिन) - बैंगनी रंग
महत्व: बैंगनी रंग कुलीनता और शांति का प्रतीक है। इसे धारण करने से समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
10. 12 अक्टूबर 2024 (विजयादशमी) - मोर हरा रंग
महत्व: मोर हरा रंग शांति और बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है। इसे पहनकर करुणा और आत्मविशिष्टता का अनुभव किया जा सकता है।
नवरात्रि के नौ दिन: देवी दुर्गा के नौ रूप
हर दिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। यह दिन अलग-अलग नामों और अवतारों को समर्पित होते हैं, जो अलग-अलग गुणों और शक्तियों का प्रतीक हैं।
1. दिन 1 - शैलपुत्री (3 अक्टूबर 2024)
देवी शैलपुत्री पर्वतों की पुत्री हैं और दृढ़ता और धैर्य का प्रतीक हैं।
2. दिन 2 - ब्रह्मचारिणी (4 अक्टूबर 2024)
देवी ब्रह्मचारिणी ज्ञान और साधना की देवी हैं। उनकी पूजा से क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है।
3. दिन 3 - चंद्रघंटा (5 अक्टूबर 2024)
देवी चंद्रघंटा युद्ध की देवी हैं और बुरी आत्माओं से रक्षा करती हैं।
4. दिन 4 - कुष्मांडा (6 अक्टूबर 2024)
देवी कुष्मांडा सृजन की देवी हैं, जो ब्रह्मांड में ऊर्जा और जीवन शक्ति का संचार करती हैं।
5. दिन 5 - स्कंदमाता (7 अक्टूबर 2024)
देवी स्कंदमाता का पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) युद्ध के देवता हैं। यह दिन मातृत्व और संरक्षण का प्रतीक है।
6. दिन 6 - कात्यायनी (8 अक्टूबर 2024)
देवी कात्यायनी शक्ति और साहस का प्रतीक हैं, जो दुष्टों का नाश करती हैं।
7. दिन 7 - कालरात्रि (9 अक्टूबर 2024)
देवी कालरात्रि सभी बुराईयों को नष्ट करने वाली देवी हैं, जो उग्रता और विनाश का प्रतिनिधित्व करती हैं।
8. दिन 8 - महागौरी (10 अक्टूबर 2024)
देवी महागौरी शुद्धता और समर्पण का प्रतीक हैं। उनकी पूजा जीवन में समृद्धि और शांति लाती है।
9. दिन 9 - सिद्धिदात्री (11 अक्टूबर 2024)
देवी सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की देवी हैं, जो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
विजयादशमी (दशहरा) 2024: अच्छाई की जीत का उत्सव
नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा और भक्ति के बाद, दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, और इसी वजह से इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है।
नवरात्रि 2024: जाने माँ शेरांवाली (दुर्गा /अष्टांगी) के पति कौन है?
दुर्गा जी सिंदूर लगाती हैं; हिंदू परंपरा के अनुसार सिंदूर एक विवाहित महिला द्वारा लगाया जाता है; यह 'सुहागन' महिला की निशानी है। हिंदू भक्तों में पूजा के दौरान देवी दुर्गा को 'सुहाग' की पेशकश करने की यह धार्मिक क्रिया है लेकिन वास्तविकता यह है कि बहु संख्या में भक्तों को नहीं पता कि दुर्गा का पति कौन है?
श्रीमद देवी भागवत पुराण, तीसरा स्कंध, पृष्ठ 114-118
यह उल्लेख किया गया है 'बहुत से लोग आचार्य भवानी को सर्व मनोरथ पूर्ण करने वाली मानते हैं। वह प्रकृति रूप में जानी जाती हैं और ब्रह्म के साथ उनका अभेद संबंध है।
दुर्गा को भवानी संबोधित करते हुए उपरोक्त श्लोक उल्लेख करता है कि काल उसका (दुर्गा का) पति है जिसे परम पुरुष के रूप में संबोधित किया गया है। वे दोनों एक साथ रहते हैं और अभेद संबंध रखते हैं।
श्रीमद देवी भागवत पुराण, तीसरा स्कंध, पृष्ठ 11-12, अध्याय 5, श्लोक 12
रमयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तव गतिं न हि विह विदम् शिवे (12)
'आप (दुर्गा) अपने पति पुरुष अर्थात काल भगवान के साथ सदा भोग-विलास (संभोग से उतपत्ति) करती रहती हो। आपकी गति कोई नहीं जानता।
श्रीमद देवी भागवत पुराण, तीसरा स्कंध, पृष्ठ संख्या 14, अध्याय 5 श्लोक 43
भगवान ब्रह्मा मां दुर्गा से पूछते हैं-
एकमेव द्वितीयम् यत् ब्रह्म वेद वदंती वैए सा किम् त्वम् वाप्यसाउ वा किम् संदेहम विनिवर्तेय
'वह जिसे वेदों में 'एकमेवाद्वितीयं ब्रम्ह' केवल एक पूर्ण ब्रम्ह कहा गया है, क्या वह तुम्हीं ही हो अथवा वह कोई और ही है? मेरे इस सन्देह का समाधान करें।
इस पर दुर्गा जी भगवान ब्रह्मा जी को उत्तर देती हैं-
देवयूवाच सदाएकत्वम ना भेदोसती सर्वदेव ममस्या च || योसाऊ साहमहम् योसाउ भेदोस्ती मतिविभ्रमात् || 2 ||
'वह जो है, वो मैं हूँ; जो मैं हूं, वह वो है। मानसिक भ्रम के कारण, अंतर कथित है'
आगे, दुर्गा पुराण में देवी दुर्गा इस ब्रह्म-काल की भक्ति करने के लिए स्वयं कहती है क्योंकि वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव से ऊपर हैं और जो इन वेदों और पुराणों को समझ नहीं पाए हैं वे भगवान ब्रम्हा, भगवान विष्णु, भगवान शिव और दुर्गा की भक्ति करना जारी रखते हैं जबकि परम ईश्वर कोई अन्य ही है।
मम् चैव शरीरम् वै सूत्रअमित्यभीधीयते स्थूलम् शरीरम् वक्ष्यामि ब्राह्मणः परमात्मनः || 83 ||
दुर्गा कहती है - मेरे शरीर को सुंदर वस्त्र की तरह माना जाता है; भगवान ब्रह्म का भौतिक शरीर माना जाता है।
कबीर सागर में सृष्टि रचना में भी संदर्भ है जो स्पष्ट करता है कि काल/ब्रह्म दुर्गा से विवाहित है, वे पति-पत्नी की तरह रहते हैं और इस क्षर पुरुष/ब्रह्म के इक्कीस ब्रम्हांडो में सभी रचनाएं करते हैं।
सभी प्रमाण सिद्ध करते हैं कि काल (ब्रह्म/क्षर पुरुष) दुर्गा का पति है। दोनों भौतिक शरीरों में साकार हैं।
FAQ
1. प्रश्न: नवरात्रि 2024 कब से शुरू हो रही है और कब समाप्त होगी?
उत्तर: नवरात्रि 2024 का शुभारंभ 3 अक्टूबर 2024 को हो रहा है, और यह 12 अक्टूबर 2024 को विजयादशमी (दशहरा) के साथ समाप्त होगी।
2. प्रश्न: नवरात्रि के दौरान हर दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?
उत्तर: हर दिन के रंग अलग होते हैं। पहले दिन पीला, दूसरे दिन हरा, तीसरे दिन ग्रे, चौथे दिन नारंगी, पांचवे दिन सफ़ेद, छठे दिन लाल, सातवें दिन रॉयल ब्लू, आठवें दिन गुलाबी और नौवें दिन बैंगनी रंग पहनने की परंपरा है।
3. प्रश्न: नवरात्रि के नौ दिनों में किस देवी की पूजा की जाती है?
उत्तर: नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होते हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।
4. प्रश्न: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त नवरात्रि 2024 में कब है?
उत्तर: नवरात्रि 2024 में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:23 बजे से 10:18 बजे तक है।
5. प्रश्न: विजयादशमी 2024 कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: विजयादशमी या दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।