गणेश चतुर्थी पर जानिए कौन है असली गणेश? गणेश चतुर्थी का अनसुना सच

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। हर वर्ष यह त्यौहार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल, गणेश चतुर्थी 19 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक अनंत चतुर्दशी तक मनाई जाएगी।

इस लेख में, हम गणेश चतुर्थी के बारे में विशेष जानकारी, इसका इतिहास, महत्व, पूजा विधि, और "आदि गणेश" का सच्चा अर्थ जानेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि किस प्रकार 'तत्वदर्शी संत' के मार्गदर्शन में सही मंत्रों का जाप करने से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।

गणेश चतुर्थी पर जानिए कौन है असली गणेश? गणेश चतुर्थी का अनसुना सच


गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व

गणेश चतुर्थी की कथा और उत्पत्ति

गणेश चतुर्थी का जिक्र शास्त्रों में स्पष्ट रूप से नहीं मिलता है, परंतु यह त्यौहार बहुत समय से मनाया जा रहा है। इसकी उत्पत्ति का संबंध छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से है, जब इसे ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच एकता लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। आगे चलकर, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, बाल गंगाधर तिलक ने इसे एक बड़े त्योहार के रूप में प्रचारित किया, जो देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।

गणेश चतुर्थी के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान

प्रतिमा स्थापना: भगवान गणेश की प्रतिमाएँ घरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापित की जाती हैं। 2024 में, यह मुहूर्त 7 सितंबर को सुबह 11:03 से दोपहर 1:34 तक है।

अनुष्ठान और पूजा: रोज़ाना प्रार्थनाएँ, भेंट, और आरती की जाती हैं, और भगवान गणेश को प्रिय मोदक चढ़ाए जाते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: मुंबई जैसे शहरों में, लालबाग राजा और सिद्धिविनायक जैसे प्रसिद्ध पंडालों में लाखों भक्त आते हैं।

विसर्जन: अंतिम दिन प्रतिमाओं को जुलूस में निकटतम जल निकायों में विसर्जित किया जाता है, जो भगवान गणेश के उनके दिव्य स्थान पर लौटने का प्रतीक है।


कौन हैं 'आदि गणेश'?

गणेश और आदि गणेश का अंतर

गणेश, जिन्हें गणों का ईश माना जाता है, का वास्तविक अर्थ "आदि गणेश" है। आदि गणेश वास्तव में परमेश्वर कबीर साहेब हैं, जो सभी आत्माओं के जनक और सर्वशक्तिमान हैं। गणेश जी का परिचय एक प्रतीकात्मक रूप से दिया गया है, जबकि "आदि गणेश" पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं, जिन्हें वेदों में 'कविर्देव' कहा गया है।

कौन से मंत्र शक्तिशाली है?

 “वक्र तुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा” का हमारे शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं मिलता है। “जय गणेश जय गणेश देवा” तथा अनेक मंत्रो से गणेश जी प्रसन्न नहीं होते हैं। गणेश जी को प्रसन्न करने वाला जो वास्तविक मंत्र है वह मंत्र भी एक तत्वदर्शी संत ही दे सकता है। आप विचार करें पूरी आरती में केवल गणेश भगवान के रूप एवं गुणों का ही वर्णन है। किसी भी देव के गुणों और रंग रूप का बखान करने से उससे लाभ नहीं मिलेगा। देवता से लाभ लेने की तकनीक शास्त्रों में नाम स्मरण की बताई है। केवल वे मन्त्र जो शास्त्रों में कहे गए हैं वही किसी तत्वदर्शी सन्त से लेकर जाप करने से सभी देवता अपने स्तर का लाभ साधक को तुरंत देने लगते हैं। 


तत्वदर्शी संत की पहचान

गीता के अध्याय 4, श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) किसी तत्वदर्शी संत की खोज करने की सलाह देते हैं। तत्वदर्शी संत की पहचान है कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, और अठारह पुराणों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों का जानकार हो।

गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता किसी तत्वदर्शी संत की खोज करने को कहता है। इससे सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) भक्ति साधना एवं पूर्ण मन्त्रों का ज्ञाता नहीं है। पूर्ण मन्त्र जो मोक्षदायक हैं वे केवल एक स्थान पर सांकेतिक रूप से कहे गए हैं यानी गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में सच्चिदानंद घनब्रह्म को पाने के लिए ॐ, तत, सत मन्त्रों के जाप कहे हैं। 

पवित्र गीता अध्याय 7 के श्लोक 12 से 15 में तीन गुणों ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करना भी व्यर्थ बताया गया है। तथा इनकी भक्ति करने वाले मनुष्यों में मूढ़, नीच एवं दूषित कर्म करने वाले कहे हैं। गीता जी में भी शास्त्रों को छोड़कर किए गए मनमाने आचरण को व्यर्थ कहा है।

तत्वदर्शी संत की विशेषताएँ:

वह केवल एक ही सही मंत्र और साधना विधि का ज्ञान दे सकता है।

वह शास्त्रानुकूल भक्ति करने के लिए मार्गदर्शन देता है।


संत रामपाल जी महाराज का मार्गदर्शन

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का कहना है कि मोक्ष प्राप्ति के लिए एक सच्चे संत से दीक्षा लेनी चाहिए। उनके अनुसार, शास्त्रों में वर्णित विधि के अनुसार गणेश जी की पूजा नहीं की जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि गणेश चतुर्थी की पूजा विधि शास्त्र सम्मत नहीं है।

संत रामपाल जी के सत्संग का अनुसरण करके, साधक को पूर्ण भक्ति मार्ग का अनुसरण करना चाहिए और केवल पूर्ण तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन में ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

इस गणेश चतुर्थी पर, सही भक्ति का मार्ग चुनें। केवल तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन में ही सही मंत्र और विधि के साथ पूजा करें और जीवन के सभी दुखों से मुक्ति पाएं।


FAQ: 

गणेश चतुर्थी 2024 कब है?
गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2024 को है।

गणेश विसर्जन 2024 में कब होगा?
गणेश विसर्जन 28 सितंबर 2024 को किया जाएगा।

गणेश जी की कितनी पत्नियाँ हैं?
गणेश जी की दो पत्नियाँ, रिद्धि और सिद्धि, ब्रह्मा जी की पुत्रियाँ हैं।

आदि गणेश कौन हैं?
आदि गणेश पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब हैं, जिन्हें वेदों में कविर्देव कहा गया है।





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