दशहरा 2024: विजयादशमी पर जाने आदि राम कबीर परमेश्वर का संदेश

दशहरा 2024: तिथि और महत्त्व

जानकारी के मुताबिक, इस बार 2024 में आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है, जो 13 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के मुताबिक, 12 अक्टूबर को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा. यानी इसी दिन विजयादशमी है.

इस दिन को रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन कर मनाया जाता है, जो बुराई के अंत का प्रतीक है। इसके साथ ही कई जगहों पर रामलीला का मंचन भी किया जाता है, जिसमें भगवान राम की पूरी जीवन गाथा दिखाई जाती है।

दशहरा का महत्त्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसे पराजित होना ही पड़ता है। यह पर्व हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन लोग शस्त्रों की पूजा भी करते हैं, जिसे ‘आयुध पूजा’ कहा जाता है, जो शक्ति और न्याय के प्रतीक के रूप में देखी जाती है।


विजयादशमी पर जाने आदि राम कबीर परमेश्वर का संदेश 

कबीर परमात्मा सदियों से मानवता के कल्याण के लिए अपने उपदेश देते आ रहे हैं। उनका संदेश स्पष्ट है: "सच्चा जीवन वही है जो परमात्मा की भक्ति में समर्पित हो।" कबीर साहेब ने जीवन की सच्चाईयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया और बताया कि सांसारिक संपत्ति और ऐश्वर्य मोक्ष का मार्ग नहीं हैं। रावण जैसे शक्तिशाली राजा का उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि भक्ति के बिना जीवन निरर्थक है।

पराई नारी के प्रति दृष्टिकोण

कबीर साहेब ने सिखाया कि किसी भी पराई नारी को अपनी बहन या बेटी के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा:

"पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव।
कहैं कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।"

इस उपदेश का मतलब है कि यदि हम किसी भी स्त्री को बहन या बेटी के रूप में देखेंगे, तो हमारे मन में उपजने वाली कामवासना का अंत हो जाएगा। इससे न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि समाज में नैतिकता और शांति का वातावरण भी बना रहता है।

रावण की सोने की लंका का उदाहरण

कबीर साहेब ने रावण के ऐश्वर्य का उदाहरण देते हुए कहा कि उसकी सोने की लंका और शक्ति भी उसे मृत्यु और विनाश से नहीं बचा सकी। उन्होंने कहा:

"सर्व सोने की लंका थी, वो रावण से रणधीरं।
एक पलक मे राज विराजै, जम के पड़ै जंजीरं।।"

रावण के पास अपार संपत्ति और शक्ति थी, लेकिन परमात्मा की भक्ति के अभाव में उसका जीवन व्यर्थ हो गया। कबीर साहेब के अनुसार, बिना भक्ति के कोई भी सांसारिक संपत्ति मोक्ष का मार्ग नहीं बन सकती।

शक्तिशाली योद्धाओं का पतन

कबीर साहेब ने बताया कि रावण जैसे कई योद्धा और राजा, चाहे वे कितने ही बलशाली क्यों न हों, सतभक्ति के अभाव में जीवन में हार का सामना करते हैं। उन्होंने कंस, केसी, चाणूर, और हिरणाकुश जैसे योद्धाओं का भी उदाहरण दिया:

"मर्द गर्द में मिल गए, रावण से रणधीर।
कंश, केसी, चाणूर से, हिरणाकुश बलबीर।।"

यह बताता है कि भक्ति के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं है, चाहे इंसान कितना भी बलशाली क्यों न हो।

भक्ति का महत्व

कबीर साहेब ने जोर देकर कहा कि इस संसार में लोग इस भ्रम में रहते हैं कि संपत्ति और ऐश्वर्य उन्हें सुख और शांति देंगे। परंतु यह सत्य नहीं है। उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा:

"रति कंचन पाया नहीं, रावण चलती बार।।"

रावण के पास अपार संपत्ति थी, लेकिन उसका अंत दुखद हुआ। इस प्रकार, बिना भक्ति के कोई भी सांसारिक संपत्ति या शक्ति व्यक्ति को मोक्ष नहीं दिला सकती।


सच्चा सेठ कौन है?

कबीर साहेब ने बताया कि सच्चा सेठ वह नहीं है जिसके पास अपार धन-संपत्ति हो, बल्कि वह है जिसके पास राम नाम का धन हो। उन्होंने कहा:

"धनवंता सो जानियो, राम नाम धन होय।।"

इसलिए, सच्चा धन केवल भक्ति और नाम-स्मरण से प्राप्त किया जा सकता है। सांसारिक संपत्ति केवल माया है, और इसका कोई स्थायी मूल्य नहीं है।

आत्मिक जागृति और विकारों का नाश

कबीर साहेब के अनुसार, इंसान को अपने भीतर के विकारों—काम, क्रोध, लोभ, मोह, और अहंकार—का नाश करना चाहिए। ये पांच विकार मानव के जीवन को बर्बाद कर देते हैं, और इनसे मुक्ति केवल परमात्मा की सच्ची भक्ति से ही संभव है। कबीर साहेब ने बताया कि असली रावण यही पांच विकार हैं, और इनका अंत केवल आदि राम की पूजा से हो सकता है।

कबीर साहेब का संदेश स्पष्ट है कि सांसारिक संपत्ति और ऐश्वर्य असली धरोहर नहीं हैं। जीवन का असली उद्देश्य सतभक्ति करना और मोक्ष प्राप्त करना है। रावण जैसे शक्तिशाली राजा का उदाहरण यह दिखाता है कि भले ही किसी के पास कितनी भी संपत्ति और शक्ति हो, बिना भक्ति के सब कुछ व्यर्थ है। अतः हमें अपने जीवन में भक्ति और नैतिकता को अपनाना चाहिए, ताकि हम आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्त कर सकें।

FAQ 


1. नवरात्रि दशहरा कब है 2024 में?
दशहरा का पर्व हर साल आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन दशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 58 मिनट को होगी। वहीं इस तिथि का समापन 13 अक्तूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल दशहरा का पर्व 12 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा।

2. 24 में दशहरा कब है?
जानकारी के मुताबिक, इस बार 2024 में आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है, जो 13 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के मुताबिक, 12 अक्टूबर को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा. यानी इसी दिन विजयादशमी है.

3. 2024 में दशमी कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी और 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।


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