Creation Of Nature | ये दुनिया किसने बनाई

सृष्टि रचना का विषय विभिन्न धर्मों और दर्शनशास्त्रों में चर्चा का केंद्र रहा है। संत रामपाल जी महाराज ने सृष्टि की रचना के बारे में गहन और विस्तृत विवरण प्रदान किया है, जिसमें कबीर परमेश्वर और शैतान/काल जैसे प्रमुख तत्वों की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया है। यह लेख इन शिक्षाओं को सरल और बोधगम्य भाषा में प्रस्तुत करता है।

Ye Duniya Kisne Banayi? ये दुनिया किसने बनाई


   कबीर परमेश्वर का परिचय

  संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, कबीर परमेश्वर जिन्हें कविर्देव के नाम से भी जाना जाता है, सर्वोच्च और शाश्वत सत्ता हैं, जो सभी ब्रह्मांडों की रचना के लिए उत्तरदायी हैं। उन्हें सबसे उच्च लोक अनामी लोक का निवासी कहा गया है। वहीं से कबीर परमेश्वर अपनी दिव्य वाणी और शक्ति से अनगिनत ब्रह्मांडों की रचना और पालन करते हैं।

   कबीर परमेश्वर के गुण

- शाश्वत और सर्वशक्तिमान : कबीर परमेश्वर को अमर सत्ता के रूप में चित्रित किया गया है, जिनकी उपस्थिति सभी लोकों में व्याप्त है।
- विभिन्न लोकों के रचयिता : उन्हें अनामी लोक, अगम लोक, अलख लोक, और सतलोक सहित कई दिव्य लोकों की रचना का श्रेय दिया जाता है, जो विभिन्न आध्यात्मिक स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रकाश और आनंद का प्रतीक : उनका रूप अनगिनत सूर्यों की चमक से भी अधिक तेजस्वी और आनंदमय बताया गया है, जो अंतिम सुख और शांति का प्रतीक है।

   सृष्टि रचना की प्रक्रिया

सृष्टि की कथा कबीर परमेश्वर द्वारा प्रारंभ की गई एक व्यवस्थित और दिव्य प्रक्रिया के माध्यम से प्रकट होती है। इस प्रक्रिया में उनकी सर्वोच्च वाणी (शब्द) और शक्ति के माध्यम से विभिन्न लोकों और प्राणियों की रचना शामिल है।

    दिव्य लोकों की रचना

1. अनामी लोक : सबसे उच्च और पवित्र लोक जहां कबीर परमेश्वर प्रारंभ में अकेले रहते थे, और सभी आत्माएं उनके भीतर समाहित थीं।
2. अगम लोक और अलख लोक : इसके बाद के लोक जिन्हें दिव्य अस्तित्व को विस्तारित करने के लिए रचा गया, और प्रत्येक का आध्यात्मिक महत्व है।
3. सतलोक : एक प्रमुख लोक जहां कबीर परमेश्वर ने अपने दृश्य रूप में प्रकट होकर सोलह द्वीपों और दिव्य इकाइयों की रचना की।

    दिव्य प्राणियों का उद्भव

- सोलह पुत्र : अपनी वाणी के माध्यम से कबीर परमेश्वर ने सोलह पुत्रों की रचना की, जो सतलोक के विभिन्न हिस्सों का संचालन करते थे।
- पराशक्ति : कबीर परमेश्वर से उत्पन्न एक दिव्य स्त्री शक्ति, जिसने विभिन्न ब्रह्मांडों की रचना और रखरखाव में मदद की।

  अक्षर पुरुष और क्षर पुरुष (सतन/काल) की भूमिका

संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं में दो महत्वपूर्ण तत्व उभरते हैं: अक्षर पुरुष (परब्रह्म) और क्षर पुरुष (ब्रह्म या सतन/काल)। ये दोनों प्राणी ब्रह्मांड की कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

   अक्षर पुरुष (परब्रह्म)

- सात शंख ब्रह्मांडों का रचयिता : अक्षर पुरुष को सात विशाल ब्रह्मांडों की रचना और संचालन का कार्य सौंपा गया, हालांकि ये ब्रह्मांड अनश्वर नहीं हैं।
- अचिंत के साथ संबंध : उन्हें अचिंत, कबीर परमेश्वर के सोलह पुत्रों में से एक, द्वारा सृष्टि में सहायता के लिए उत्पन्न किया गया, लेकिन वे मानसरोवर नामक अमृत से भरे झील में सो गए।


    क्षर पुरुष (ब्रह्म या शैतान/काल)

- उत्पत्ति और महत्वाकांक्षा : क्षर पुरुष को अक्षर पुरुष को जगाने के लिए कबीर परमेश्वर द्वारा उत्पन्न किया गया था। अपनी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित होकर, उन्होंने अपनी स्वयं की रचना और शासन के लिए कठोर तपस्या की।
- इक्कीस ब्रह्मांडों की रचना : तपस्या के फलस्वरूप, उन्हें इक्कीस ब्रह्मांडों का अधिकार दिया गया, जो नाशवान हैं।
- माया (भ्रम) का परिचय : उन्होंने माया का परिचय दिया, जो आत्माओं को भ्रमित करने और जन्म-मृत्यु के चक्र में उलझाने के लिए बनाई गई।
- आत्माओं का उपभोग : एक शाप के कारण, क्षर पुरुष को प्रतिदिन एक लाख सूक्ष्म मानव रूपों का उपभोग करना पड़ता है, जिससे कष्ट और बंधन का चक्र चलता रहता है।

  आत्माओं का बंधन

इन शिक्षाओं में बताया गया है कि सतलोक में सुखपूर्वक रहने वाली आत्माएं कैसे क्षर पुरुष के लोकों में फंस गईं।

   पतन का कारण

- तपस्याओं का आकर्षण : आत्माएं क्षर पुरुष की तपस्या और उसकी रचनाओं से मोहित हो गईं, जिससे उन्हें उसके लोकों का अनुभव करने की इच्छा हुई।
- स्वेच्छा से प्रस्थान : कबीर परमेश्वर की चेतावनी के बावजूद, कई आत्माओं ने क्षर पुरुष का अनुसरण करने का निर्णय लिया, जिससे वे कष्ट और पुनर्जन्म के चक्र में फंस गईं।
- आदि माया का रूपांतरण : कबीर परमेश्वर ने सहमति देने वाली आत्माओं को आदि माया के रूप में परिवर्तित कर दिया, जो क्षर पुरुष की रचनाओं में सहायता करने के लिए उत्पन्न हुईं।

  कष्ट का चक्र

- त्रिमूर्ति की रचना : अपने लोकों में, क्षर पुरुष और आदि माया ने ब्रह्मा, विष्णु, और शिव की त्रिमूर्ति की रचना की, जो सृष्टि, स्थिति, और संहार का संचालन करते हैं।
- भ्रम और बंधन : आत्माओं को भ्रम और कर्म के चक्रों में उलझा दिया गया है, जिससे मुक्ति प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

   मुक्ति का मार्ग

  संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, क्षर पुरुष के लोकों में जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना संभव है, बशर्ते कि आत्मा कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं का पालन करे और सच्ची भक्ति करे।

   सत्य ज्ञान को अपनाना

- सत्य का ज्ञान : कबीर परमेश्वर की सर्वोच्च सत्ता और क्षर पुरुष के लोकों की मायावी प्रकृति को समझना मुक्ति की दिशा में पहला कदम है।
- भक्ति के उपाय : सही और सच्चे साधना उपायों में लीन होना, जैसा कि सच्चे संतों द्वारा बताया गया है, कर्म बंधनों को समाप्त करता है।

   सच्चे संतों की भूमिका

- मुक्ति के मार्गदर्शक : सच्चे संत मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, सही ज्ञान देते हैं और आत्माओं को कबीर परमेश्वर से पुनः जुड़ने के मार्ग में सहायता करते हैं।
- दिव्य संदेश का प्रसार : वे आत्माओं को उनके सच्चे मूल का एहसास कराते हैं और उन्हें सतलोक की ओर ले जाने में सहायता करते हैं।

निष्कर्ष

  संत रामपाल जी महाराज की गहन शिक्षाएं सृष्टि की रचना और संरचना पर एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, जिसमें कबीर परमेश्वर की सर्वोच्चता और सतन/काल जैसी इकाइयों की जटिल भूमिकाओं को उजागर किया गया है। इन शिक्षाओं को समझना और उन्हें आत्मसात करना आध्यात्मिक जागृति और कष्टों और पुनर्जन्म के चक्र से अंतिम मुक्ति के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

अधिक जानकारी और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए, संत रामपाल जी महाराज के प्रवचनों का अन्वेषण करें और कबीर परमेश्वर के गहन ज्ञान में और गहराई से उतरें।

FAQs 

1. दुनिया की रचना किसने की?
   - संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, दुनिया की रचना कबीर परमेश्वर ने की है। वे सभी ब्रह्मांडों के सर्वोच्च और शाश्वत रचयिता हैं।

 2. कबीर परमेश्वर कौन हैं?
   - कबीर परमेश्वर, जिन्हें कविर्देव भी कहा जाता है, सर्वोच्च ईश्वर हैं जो सभी ब्रह्मांडों की रचना और पालन करते हैं। वे अनामी लोक के निवासी हैं।

 3. सृष्टि की रचना कैसे हुई?
   - कबीर परमेश्वर ने अपनी दिव्य वाणी और शक्ति के माध्यम से अनगिनत ब्रह्मांडों की रचना की। उन्होंने विभिन्न दिव्य लोकों और प्राणियों को जन्म दिया।

 4. सतन/काल कौन है?
   - संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, सतन/काल एक नाशवान शक्ति है जिसने इक्कीस ब्रह्मांडों की रचना की और माया का परिचय दिया। इसका कार्य आत्माओं को जन्म-मृत्यु के चक्र में उलझाना है।

 5. मुक्ति कैसे प्राप्त करें?
   - संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, मुक्ति प्राप्त करने के लिए कबीर परमेश्वर की सच्ची भक्ति और उनके द्वारा दिए गए सत्य ज्ञान का पालन करना आवश्यक है।

 6. क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष में क्या अंतर है?
   - अक्षर पुरुष सात शंख ब्रह्मांडों के रचयिता हैं और अमर हैं, जबकि क्षर पुरुष (सतन/काल) इक्कीस नाशवान ब्रह्मांडों के रचयिता हैं और आत्माओं को माया के जाल में फंसाते हैं।

7. सतलोक क्या है?
   - सतलोक एक दिव्य लोक है जहाँ कबीर परमेश्वर का निवास है। यह एक पवित्र और शाश्वत स्थान है जहां से सभी दिव्य रचनाएँ शुरू होती हैं।

 8. कबीर साहेब की शिक्षा क्या है?
   - कबीर साहेब ने सच्चे ज्ञान और भक्ति का महत्व बताया है। उनकी शिक्षा के अनुसार, केवल कबीर परमेश्वर की आराधना से ही आत्मा को वास्तविक मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

 9. संत रामपाल जी महाराज कौन हैं?
   - संत रामपाल जी महाराज एक आध्यात्मिक गुरु हैं जो कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं का प्रसार करते हैं। उन्होंने सृष्टि की रचना और मुक्ति के मार्ग पर गहन ज्ञान प्रदान किया है।

 10. आत्माओं का बंधन कैसे होता है?
   - आत्माएं, क्षर पुरुष (सतन/काल) की माया से मोहित होकर, जन्म-मृत्यु के चक्र में फंस जाती हैं और सतलोक से दूर हो जाती हैं।


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