God In Quran | Rebirth In Islam | क्या इस्लाम अगले जन्म में विश्वास करता है

किसी भी धर्म को सही तरीके से समझने के लिए उसके अनुयायियों के आचरण को नहीं, बल्कि उसके धार्मिक ग्रंथों को समझना चाहिए। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि खुद अनुयायी भी अपने धर्म और मान्यताओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। इस कारण से, यदि हम इस्लाम को समझना चाहते हैं, तो हमें मुसलमानों के बजाय उनके धार्मिक ग्रंथों, जैसे कि कुरान शरीफ, का अध्ययन करना चाहिए।

इस लेख में, हम इस्लाम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब ढूँढेंगे, जैसे कि इस्लाम में अल्लाह कौन है, कुरान शरीफ का ज्ञान किसने दिया, और इस्लाम में पुनर्जन्म (अगले जन्म) में विश्वास है या नहीं।

Quran Me Allah Koun hai | कुरान में अल्लाह कौन है | क्या इस्लाम अगले जन्म में विश्वास करता है


कुरान के अनुसार अल्लाह कौन है?

मुस्लिम समाज का मानना है कि बाबा आदम पहले इंसान थे, और उनकी एक हड्डी से उनकी पत्नी हव्वा बनाई गई थी, जिससे सभी मनुष्यों का जन्म हुआ। इस्लाम के अनुयायी यह भी मानते हैं कि कुरान शरीफ का ज्ञान खुद अल्लाह ने दिया था। मुस्लिम समाज मानता है कि अल्लाह ने पहले चार पवित्र किताबें दीं - पवित्र तोराह, पवित्र इंजील, पवित्र जबूर, और पवित्र कुरान शरीफ। इनकी मान्यता है कि कुरान शरीफ सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे संसार के सभी इंसानों के लिए है।

कुरान शरीफ, सूरा फुरकानी 25, आयत 52-59 में उल्लेख मिलता है कि अल्लाह का नाम 'कबीर' है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 'अल्लाहु अकबर' यानी 'महान अल्लाह' का नाम 'कबीर' है। उदाहरण के लिए, आयत 25:52 में 'कबीर' शब्द का प्रयोग किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि अल्लाह का नाम कबीर है। इसी तरह, आयत 25:58 में कहा गया है कि "ओ पैगंबर, उस 'जीवित' पर भरोसा करो जो अमर है। उसकी उपासना करो।" यह साबित करता है कि कुरान का ज्ञान देने वाला खुद यह नहीं कह रहा कि वह सर्वोच्च परमेश्वर है, बल्कि वह किसी और अल्लाह (कबीर परमेश्वर) की ओर इशारा कर रहा है।

आयत 25:59 में बताया गया है कि "वह अल्लाह जिसने आकाश और पृथ्वी को छः दिनों में बनाया और फिर सातवें दिन अपने सिंहासन पर बैठा, वही परमेश्वर कबीर है।" इसका अर्थ है कि असली अल्लाह वही है जिसने पूरी सृष्टि की रचना की है, और वही कबीर परमेश्वर है।


कुरान का ज्ञान किसने दिया?

कुरान शरीफ का ज्ञान हज़रत मोहम्मद साहब को एक फ़रिश्ते (जिब्राइल) के माध्यम से दिया गया था। यह फ़रिश्ता 'काल ब्रह्म' द्वारा भेजा गया था, जिसे इन 21 ब्रह्माण्डों का स्वामी भी माना जाता है। काल ब्रह्म ने चार पवित्र ग्रंथों - वेद, गीता, कुरान शरीफ, और बाइबल - का ज्ञान (अनिच्छा से) दिया था।

मुसलमानों का विश्वास है कि कुरान शरीफ का ज्ञान बिना किसी गलती के हज़रत मोहम्मद साहब को दिया गया, और इस कारण से वे इसे अल्लाह का ज्ञान मानते हैं। लेकिन असल में यह ज्ञान काल ब्रह्म द्वारा दिया गया था। इसी प्रकार, पवित्र तोराह, जबूर और इंजील का ज्ञान भी इसी काल ब्रह्म ने अलग-अलग समय पर विभिन्न पैगंबरों - मूसा जी, दाऊद जी, और ईसा मसीह जी - को दिया था।

गीता का ज्ञान भी काल ब्रह्म ने श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके दिया था। गीता के अध्याय 11, श्लोक 32 में काल खुद को 'काल' कहता है, जब अर्जुन उसकी बातों से सहमत नहीं होते, तो वह अर्जुन को अपना भयानक रूप दिखाता है, जिससे अर्जुन डरकर उसकी बातों को मानने के लिए तैयार हो जाते हैं।

क्या इस्लाम अगले जन्म में विश्वास करता है?

मुसलमानों का मानना है कि पुनर्जन्म नहीं होता। वे कहते हैं कि एक बार जब आप पैदा होते हैं, तो आपकी मृत्यु का निर्णय ईश्वर द्वारा पहले से ही किया जा चुका होता है। जब इंसान की मृत्यु हो जाती है, तो उसे कब्र में दफना दिया जाता है। कयामत के दिन, जब पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी, उस समय ईश्वर उन सभी को कब्रों से निकालकर फिर से जीवित करेगा। जिन लोगों ने कुरान शरीफ के अनुसार जीवन जिया होगा, वे स्वर्ग (बहिश्त) में जाएंगे, और जिन्होंने इसके निर्देशों का पालन नहीं किया, वे नर्क (दोज़ख) में भेजे जाएंगे। इस्लाम में पुनर्जन्म को नकारा जाता है और उन्हें यह विश्वास है कि यह अंतिम दिन होगा, इसके बाद कुछ भी नहीं होगा।

लेकिन कुरान शरीफ में कुछ श्लोक ऐसे हैं जो पुनर्जन्म की संभावना को इंगित करते हैं। सूरा अल अंबिया 21:104 में कहा गया है कि "जिस दिन हम आकाश को ऐसे लपेटेंगे जैसे एक पन्ने को मोड़ दिया जाता है। जैसे हमने पहले इसे बनाया था, हम फिर से इसे लौटाएंगे।" इसका अर्थ यह है कि जिस तरह से सृष्टि की रचना हुई थी, वैसे ही इसे फिर से बनाया जाएगा। यह इस बात का संकेत है कि पुनर्जन्म होता है।

कुरान शरीफ, सूरा मुलकी 67, आयत 1 और 2 में कहा गया है "जिसने मृत्यु और जीवन की रचना की।" इसका अर्थ है कि पुनर्जन्म होता है। यहाँ यह सवाल उठता है कि यह कयामत का दिन कब आता है? पवित्र ग्रंथों के अनुसार, जब ब्रह्मा जी का एक दिन समाप्त होता है, तब भयानक प्रलय होती है और तीनों लोक - स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल - नष्ट हो जाते हैं। उस दिन धरती पर सभी जीवों का अंत हो जाता है, और चारों ओर जल ही जल होता है। इसी घटना को 'कयामत का दिन' कहा जाता है।

इस्लाम और धार्मिक ग्रंथों का सही अध्ययन

इस्लाम को सही तरीके से समझने के लिए, हमें इसके धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए न कि इसके अनुयायियों के आचरण पर ध्यान देना चाहिए। कुरान शरीफ, जो इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है, में अल्लाह के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। यह भी स्पष्ट है कि कुरान शरीफ का ज्ञान काल ब्रह्म द्वारा दिया गया था, और इसमें पुनर्जन्म की संभावना भी स्पष्ट की गई है। इसलिए, यदि हम इस्लाम को सही मायनों में समझना चाहते हैं, तो हमें कुरान शरीफ और अन्य संबंधित धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करना चाहिए।

FAQS 

1. अल्लाह कौन है? अल्लाह इस्लाम में सर्वोच्च परमेश्वर हैं, जिन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की है। कुरान में उन्हें 'कबीर' के रूप में भी संदर्भित किया गया है।

2. कुरान का ज्ञान किसने दिया? कुरान शरीफ का ज्ञान हज़रत मोहम्मद साहब को जिब्राइल फ़रिश्ते के माध्यम से दिया गया था, जिसे काल ब्रह्म ने भेजा था।

3. क्या इस्लाम पुनर्जन्म में विश्वास करता है? इस्लाम में पुनर्जन्म की धारणा को नकारा गया है, लेकिन कुछ आयतें पुनर्जन्म की संभावना की ओर संकेत करती हैं।

4. इस्लाम को सही तरीके से कैसे समझें? इस्लाम को समझने के लिए इसके धार्मिक ग्रंथों, जैसे कि कुरान शरीफ, का गहन अध्ययन आवश्यक है।


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